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Gotra Pata Kare

अपना Gotra Kaise Pata Kare : आइए जानें

Posted on July 26, 2025

एक इंसान की पहचान समाज में उसके नाम या जाति से होती है। इसी तरह हिन्दू धर्म में आपका गोत्र भी बहुत महत्व रखता है। भारत में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपना Gotra पता नहीं होता। आज इस लेख के जरिए मैं आपको बताऊँगा कि गोत्र क्या होता है और इसकी पहचान कैसे की जाती है?

Gotra Kaise Pata Kare

Gotra क्या है?

गोत्र एक संस्कृत शब्द है जिसमें “गो” का मतलब इंद्रियों से है, और “त्र” का अर्थ है रक्षा करना। इसकी शुरुआत वंश या कुल से हुई है। Gotra व्यक्ति के पूर्वजों से संबंधित होता है जो कि मानव समाज द्वारा बनाए गए उन रीति-रिवाजों का प्रमुख हिस्सा है जिससे यह निर्धारित किया जाता है व्यक्ति किस पूर्वज की संतान है। हिंदू धर्म में गोत्र को ऋषि परंपरा से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति कश्यप ऋषि के वंशज से है, तो उसका गोत्र “कश्यप” होगा।

कैसे निर्माण हुआ गोत्र का?

जाति विभाजन बाद अलग-अलग गोत्र असितत्व में आए। जिसके द्वारा प्रत्येक जाति के लोगों को अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया। जिनमें से एक गोत्र के स्त्री-पुरुष आपस में विवाह नहीं कर सकते क्योंकि एक गोत्र में आने वाले सभी लोग भाई-बहन कहलाते हैं। सबसे पहले गोत्र सप्तर्षियों के नाम से प्रचलन में आए थे।

गोत्र कितने हैं? 

हिंदू धर्म में कई प्रमुख गोत्र हैं, जो प्राचीन ऋषियों के नाम पर आधारित हैं। जिनकी उत्पति इन्ही से हुई है। ये गोत्र हैं –

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  • कश्यप
  • अत्रि
  • वशिष्ठ
  • गौतम
  • विश्वामित्र
  • जमदग्नि
  • भारद्वाज
  • अंगिरा

Gotra का महत्व क्या है?

Gotra का हमारे जीवन में बहुत महत्व है जैसे कि –

1. वंश की पहचान करवाए 

गोत्र से पता चलता है कि व्यक्ति किस ऋषि या पूर्वज के वंश का है। इससे हमारे वंश की पहचान होती है। गोत्र व्यक्ति की वंश परंपरा और सामाजिक पहचान को दर्शाता है जिससे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक वंशानुगत का पता चलता है।

2. सामाजिक पहचान

गोत्र किसी व्यक्ति के सामाजिक और जातीय समूह को परिभाषित करता है, जिससे ये जाना जाता है कि समाज में व्यकित का गोत्र क्या है?

3. विवाह के लिए

हिंदू धर्म के अनुसार एक ही गोत्र के लोगों के बीच विवाह करना उचित नहीं है, ऐसे विवाह को समाज मान्यता नहीं देता है। क्योंकि विवाह के लिए लड़के और लड़की का गोत्र अलग अलग होना चाहिए।

4. धार्मिक अनुष्ठानों में 

गोत्र का उल्लेख पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है, जिससे व्यक्ति की पहचान और उसके पूर्वजों के प्रति सम्मान को दर्शाने में मदद मिलती है।

गोत्र की पहचान करना क्यों है जरूरी?

Gotra व्यक्ति के वंश, धार्मिक पहचान, विवाह और सामाजिक पहचान से जुड़ा होता है। इसलिए इसकी पहचान करना व्यकित के लिए महत्वपूर्ण है। जिस तरह व्यकित अपने परिवार से अलग नहीं रह सकता ठीक उसी तरह गोत्र को भी व्यकित का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। 

कंप्लीट प्रोसेस Kaise Pata Kare Gotra ?

अगर आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो आप नीच दिए गए स्टेप को फॉलो करके Gotra का पता लगा सकते हैं –

👉 बुजुर्गों से पूछें

आपको अपने गोत्र का ज्ञात न होने पर अपने परिवार के बुजुर्गों की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि इन बुजुर्गों को गोत्र के बारे में पता होता है।

👉 वंशावली दस्तावेज़ के जरिए 

आप वंशावली दस्तावेज़ के जरिए भी अपना Gotra जान सकते हैं। इसमें व्यकित के नाम, जन्म तिथि, विवाह और मृत्यु की जानकारी शामिल होती है। इसके साथ ही आपको अपना गोत्र का भी पता चलता है।

👉 धार्मिक स्थलों पर जाकर

गोत्र की जाँच करने के लिए आप धार्मिक स्थलों पर जा सकते हैं जैसे कि हरिद्वार। यहाँ पर आपको ऐसे पंडित मिलेंगे जिनके पास परिवारों की वंशावली का रिकॉर्ड होता है। आप इनके जरिए आसानी से अपने गोत्र की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

👉 ज्योतिष कार्यालय के द्वारा 

अगर आपको अपना गोत्र ज्ञात नहीं है, तो आप ज्योतिष कार्यालय में जा सकते हैं। क्योंकि ये कार्यालय आपके शहर या कसवे में हर जगह होते हैं। यहाँ पर आपको ज्योतिष पंडित मिलंगे जिनके जरिए आप अपना नाम या जन्म तिथि बताकर गोत्र जान सकते हैं।

👉 एस्ट्रोचैट डॉट कॉम के जरिए

एस्ट्रोचैट डॉट कॉम ऑनलाइन ज्योतिष परामर्श के लिए एक विश्वसनीय मंच है। जहाँ पर आपको आपके जीवन से जुड़े पहलुओं पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही आपको आपके गोत्र के बारे में भी बताया जाता है।

👉 ज्योतिषी व्हाट्सएप नंबर के द्वारा 

आप व्हाट्सएप नंबर (+91-9956047166 ) के जरिए ज्योतिषी से जुड़ सकते हैं और उन्हें अपना नाम, जन्म तिथि बताकर गोत्र के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

गोत्र का इतिहास

भारत में गोत्र का इतिहास काफी पुराना है। Gotra की हिंदू धर्म में अहम परंपरा है। यह किसी व्यक्ति के पूर्वजों से जुड़ा हुआ है। गोत्र ऋषि के नाम से पहचाने जाते हैं। यह किसी कुलदेवी के नाम पर भी प्रचलित हुए हैं। जिन ऋषि के पूर्वज शिष्य थे, उनके नाम से कुल का गोत्र सदियों तक चला हुआ है। 

जब जाति का विभाजन होता है तो उसके बाद अलग-अलग गोत्रों का निर्माण हुआ। जिसके जरिए हर जाति के लोगों को अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया। ऐसे में एक ही गोत्र में शादियां नहीं की जा सकती। किसी एक गोत्र के लोग मान्यता आधार पर किसी एक पूर्वज की संताने हैं। जिनका आपस में खून की रिश्ता होता है।


अक्सर पुछे जाने वाले प्रश्न  

इस विषय में आपसे इस तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं –

🧐1 जाति में कितने गोत्र होते हैं?

भारत में पूरी हिंदू जातियां 115 गोत्रों में बंटी हुई हैं। ये गोत्र, सात ऋषियों के नामों पर आधारित हुए हैं। लेकिन गोत्रों की संख्या सैकड़ों में है। ये सभी गोत्र, महाभारत काल के मूल चार गोत्रों की ही शाखाएं या प्रशाखाएं हैं।

🧐सबसे उच्चकोटी का गोत्र कौन सा है?

सबसे बड़ा गोत्र “भरद्वाज गोत्र” माना गया है।

🧐गोत्र कैसे बदलें?

गोत्र बदला नहीं जा सकता, जो कि व्यक्ति के पिता के वंश से जुड़ा होता है और यह जन्म से ही निर्धारित हो जाता है।


” मैनें आपको इस लेख के जरिए ये बताया कि गोत्र क्या है और इसके बारे में पता कैसे लगाया जाता है। अगर आपको भी अपना गोत्र पता नहीं है तो आप ऊपर बताए गए स्टेप को फॉलो कर सकते हैं।” 

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